Wednesday, May 21, 2025
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    Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत में ये चीजें होती हैं वर्जित, जानिए क्या खाएं और किन चीजों से करें परहेज

    Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 26 मई 2025 को रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं वटवृक्ष (बरगद) की पूजा करके सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ करती हैं.

    व्रत में वर्जित चीजें
    व्रत के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित माना जाता है, ताकि व्रत की पवित्रता बनी रहे और शरीर व मन की शुद्धि हो.

    अनाज: व्रत के दिन किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए.

    तामसिक भोजन: अंडा, मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थ पूरी तरह से वर्जित हैं.

    भारी और मसालेदार भोजन: तेज मसाले, अधिक तेल या घी से बने व्यंजन से परहेज करें, क्योंकि ये पाचन में भारी होते हैं और व्रत की शुद्धता को प्रभावित कर सकते हैं.

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    व्रत में सेवन योग्य खाद्य पदार्थ
    व्रत के दौरान शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और व्रत की मर्यादा बनाए रखने के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है.

    फल और मेवे: सेब, केला, अनार, खजूर, बादाम, अखरोट आदि का सेवन करें.

    दही और शहद: दही शरीर को ठंडक प्रदान करता है, जबकि शहद ऊर्जा का अच्छा स्रोत है.

    खिचड़ी: साबूदाना या समा के चावल से बनी खिचड़ी हल्की और पचने में आसान होती है.

    घर पर बनी मिठाइयां: हलवा, पुआ आदि शुद्ध सामग्री को घर पर बनाकर सेवन करें.

    व्रत के एक दिन पूर्व की तैयारी
    व्रत से एक दिन पहले सादा और हल्का भोजन करना चाहिए, जिससे अगले दिन व्रत के दौरान शरीर में कोई असुविधा न हो. तामसिक भोजन से परहेज करें, क्योंकि यह पाचन में भारी होता है और व्रत की अवधि में ऊर्जा की कमी का कारण बन सकता है.

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    पूजा विधि
    व्रत के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. वटवृक्ष के नीचे सफाई करके पूजा स्थल तैयार करें. सावित्री और सत्यवान की पूजा करें, वटवृक्ष को जल चढ़ाएं, लाल धागे से पेड़ को बांधें और सात बार परिक्रमा करें. व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें. गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें. व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें.

    वट सावित्री व्रत नारी शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है. इस व्रत के दौरान उचित खानपान और पूजा विधि का पालन करके महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.

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