Heart Disease in Young Adults: आज के दौर में हृदय रोग (Heart Disease) सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है. बदलती जीवनशैली, अनियमित खानपान, बढ़ता तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी के चलते यह गंभीर बीमारी अब युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है. हाल के शोधों और स्वास्थ्य रिपोर्टों के अनुसार, 25 से 40 वर्ष की उम्र के युवाओं में दिल के दौरे और कार्डियक अरेस्ट के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं.
कारण जो युवाओं को बना रहे हैं शिकार
अनियमित दिनचर्या: देर रात तक जागना, समय पर भोजन न करना और नींद की कमी हृदय पर बुरा असर डालती है.
जंक फूड और फास्ट फूड: युवाओं में जंक फूड का चलन इतना अधिक हो गया है कि पोषक तत्वों की कमी और कोलेस्ट्रॉल की अधिकता हृदय को कमजोर बना रही है.
तनाव और प्रतिस्पर्धा का दबाव: करियर, पढ़ाई और निजी जीवन में असंतुलन युवाओं को मानसिक रूप से तनावग्रस्त बना रहा है, जो हृदय रोगों का बड़ा कारण बनता है.
शारीरिक निष्क्रियता: आज का युवा अधिकतर समय मोबाइल या लैपटॉप पर बिताता है, जिससे व्यायाम और चलने-फिरने की आदतें लगभग समाप्त हो चुकी हैं.

लक्षण जो नजरअंदाज नहीं करने चाहिए
छाती में भारीपन या दर्द, सांस लेने में कठिनाई, अचानक थकावट, बाएं हाथ में झुनझुनाहट या दर्द, ये सभी लक्षण हृदय संबंधी समस्याओं की ओर इशारा कर सकते हैं. दुर्भाग्य से युवा अक्सर इन संकेतों को मामूली समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं.
कैसे करें दिल की रक्षा
स्वस्थ आहार लें- हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और कम वसा वाला भोजन.
नियमित व्यायाम- रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलना या योग करना फायदेमंद होता है.
तनाव प्रबंधन- ध्यान, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद तनाव को कम करने में सहायक हैं.
नियमित स्वास्थ्य जांच- खासकर उन युवाओं के लिए जरूरी है जिनके परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास है.

युवाओं को अपनी सेहत के प्रति सचेत रहना चाहिए. “बचपन से बुढ़ापे तक, दिल की सुरक्षा करें हर कदम पर”. इस सोच को अपनाकर ही हम इस खतरनाक बीमारी से खुद को और अपने प्रियजनों को बचा सकते हैं. क्योंकि अब दिल की बीमारी उम्र नहीं, लापरवाही देखती है.
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