Bihar Assembly Election 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. इस चुनाव में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), महागठबंधन (INDIA) और जन सुराज पार्टी के बीच होने की संभावना है.
NDA: नीतीश कुमार के नेतृत्व में 225 सीटों का लक्ष्य
NDA ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और 225 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी (BJP), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा इस गठबंधन का हिस्सा हैं. हाल ही में पटना में हुई बैठक में विकास परियोजनाओं और चुनावी रणनीति पर चर्चा की गई, जिससे गठबंधन की एकजुटता का संकेत मिलता है.
महागठबंधन (INDIA): तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की जोड़ी
महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं. तेजस्वी यादव ने ‘माई बहिन मान योजना’ की घोषणा की थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे पहले लॉन्च कर इसका श्रेय ले लिया, जिससे महागठबंधन में मतभेद की स्थिति उत्पन्न हुई. राहुल गांधी ने दलित वोट बैंक को पुनः प्राप्त करने के लिए कई यात्राएं की हैं, जिससे कांग्रेस की सक्रियता बढ़ी है.

जन सुराज पार्टी: प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह की नई पहल
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने मिलकर जन सुराज पार्टी को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इनकी साझेदारी से बिहार की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है, जो पारंपरिक दलों के लिए चुनौती बन सकता है.
अन्य दलों की स्थिति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पार्टी के संयुक्त सचिव मनोरंजन सिंह ने सारण जिले के तरैया विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की. वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने संकेत दिया है कि यदि पार्टी कहेगी, तो वे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, जिससे उनकी सक्रियता बढ़ी है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है. NDA की एकजुटता, महागठबंधन की रणनीति और जन सुराज पार्टी की नई पहल चुनाव को रोचक बना रही है. हालांकि, जनता के मुद्दों और विकास कार्यों पर आधारित मतदान ही तय करेगा कि किसका पलड़ा भारी पड़ेगा.

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