Bihar Politics: पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने ताड़ी को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ताड़ी एक प्राकृतिक पेय पदार्थ है और इसे शराब की श्रेणी में रखना न केवल अनुचित है, बल्कि पारंपरिक और ग्रामीण समुदायों के अधिकारों का भी हनन है.
चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि ताड़ी वर्षों से भारत के ग्रामीण इलाकों में प्राकृतिक रूप से उपयोग में लाई जाती रही है. इसे पेड़ से सीधा निकाला जाता है और बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के इसका सेवन किया जाता है. ताड़ी का सेवन शराब की तरह नशे के लिए नहीं, बल्कि पारंपरिक आहार के हिस्से के रूप में किया जाता रहा है.
उन्होंने बिहार सरकार से आग्रह किया कि ताड़ी को शराब से संबंधित कानूनों से बाहर रखा जाए और इस प्राकृतिक पेय को संरक्षण प्रदान किया जाए. चिराग पासवान ने यह भी सुझाव दिया कि ताड़ी उत्पादन से जुड़े हजारों परिवारों के रोजगार को बचाने के लिए सरकार को नीति बनानी चाहिए.

चिराग ने आगे कहा कि ताड़ी को शराब की श्रेणी में रखने से न केवल इन परिवारों की आजीविका प्रभावित होती है, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा भी खतरे में पड़ जाती है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि विकासशील भारत में हमें अपनी स्थानीय और पारंपरिक विरासत का सम्मान करना चाहिए.
बता दें कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सोमवार को एक बार फिर शराबबंदी कानून से ताड़ी को बाहर रखने की बात दोहराई. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शुरू से ही ताड़ी को शराबबंदी कानून से बाहर रखना चाहती थी.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों नेताओं का यह कदम बिहार में ग्रामीण वोटबैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि बिहार सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है.
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